।। मोर पंख की कहानी ।।

एक समय गोकुल में एक मोर रहता था वह रोज़ जब कृष्ण भगवान आते 🎺 🎺 और जाते तो उनके द्वार पर बैठा एक ही भजन गाता 🎺 🎺 " 🎺 🎺 मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे 🎺 🎺 गोपाल सांवरिया मेरे 🎺 🎺 माँ बाप सांवरिया मेरे" 🎺 🎺 🎺 🎺 वो इस तरहा रोज़ यही गुनगुनाता रहता 🎺 🎺 एक दिन हो गया 2 दिन हो गये इसी तरहा 1 साल व्यतीत हो गया 🎺 🎺 परन्तु कृष्ण ने एक ना सुनी तब वहा से एक मैना उडती जा रही थी 🎺 🎺 उसने मोर को रोता हुआ देखा और अचम्भा किया 🎺 🎺 उसे मोर के रोने पर अचम्भा नही हुआ , 🎺 🎺 उसे ये देख के अचम्भा हुआ की क्रष्ण के दर पर कोई रो रहा है 🎺 🎺 🎺 🎺 वो मोर से बोली मैना: हे मोर तू क्यों रोता हैं 🎺 🎺 तो मोर ने बताया की मोर :पिछले एक साल से में इस छलिये को रिझा रहा हु परन्तु इसने आज तक मुझे पानी भी नही पिलाया 🎺 🎺 🎺 🎺 ये सुन मैना बोली मैना: में बरसना से आई हु तू भी वहा चल 🎺 🎺 और वो दोनों उड़ चले और उड़ते उड़ते बरसाने पहुच गये 🎺 🎺 जब मैना वहा पहुची तो उसने गाना शुरू किया 🎺 🎺 🎺🎺श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे 🎺🎺 परन्तु मोर तो बरसाने मे...